UP Board Age Fraud : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (UPMSP) के सचिव भगवती सिंह ने हाई स्कूल परीक्षा में उम्र की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। अब यूपी बोर्ड की परीक्षाओं में हिस्सा लेने वाले छात्रों की उम्र और पहचान की पूरी तरह से जांच होगी, जिससे फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर एडमिशन लेने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकेगी।
यह कदम खासकर खेल प्रतियोगिताओं में बढ़ती उम्र की धोखाधड़ी को रोकने के उद्देश्य से उठाया गया है, जिसमें छात्र अपनी उम्र कम बताकर प्रतियोगिता में शामिल होते हैं। आइए जानते हैं कि क्या है यह नया फैसला और इसका छात्रों पर क्या असर पड़ेगा। साथ ही बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने क्या बताया है और यह फैसला कहां पर लिया गया पूरी जानकारी कहां दी जा रही है।
क्या है उम्र की धोखाधड़ी (UP Board Age Fraud)?
सबसे पहले आपको पता होना चाहिए की उम्र की धोखाधड़ी क्या होती है। उम्र की धोखाधड़ी का मतलब है — जब कोई छात्र फर्जी जन्म तिथि वाला प्रमाण पत्र बनवाकर खुद को छोटे उम्र का दिखाता है, ताकि उसे प्रतियोगिताओं, छात्रवृत्तियों या अन्य सुविधाओं में लाभ मिल सके।
खासकर स्कूल स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में यह चलन तेजी से बढ़ रहा है, जहां 18-19 साल के छात्र खुद को 14-15 साल का बताकर भाग लेते हैं और असली योग्य खिलाड़ियों को मौका नहीं मिल पाता। ऐसा होना पूरी तरह से गलत है इनमें योग्य खिलाड़ियों को सही अवसर नहीं मिल पाता है।
UP Board का बड़ा फैसला
UP Board ने अब हाई स्कूल बोर्ड परीक्षा के लिए हो रही उम्र की धोखाधड़ी पर सख्ती से कार्रवाई करने का निर्णय लिया है। इसके तहत अब बोर्ड की तरफ से निम्न कम उठाए जाएंगे –
- छात्रों के Aadhaar नंबर के साथ साथ APAAR ID (Automated Permanent Academic Account Registry) को उनके पंजीकरण (registration) से जोड़ा जाएगा।
- इससे हर छात्र की असली उम्र और शैक्षणिक विवरण की डिजिटल पुष्टि (digital verification) की जाएगी।
- अगर किसी छात्र की जानकारी गलत पाई जाती है, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है और स्कूल पर भी कार्रवाई हो सकती है।
इसलिए अब विद्यार्थियों एवं विद्यालयों को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि विद्यार्थियों का पंजीकरण सहित दस्तावेज के साथ करें। विद्यार्थी भी आधार कार्ड में ऑफर आईडी पर दिए गए जन्म तिथि के आधार पर ही अपना एडमिशन सुनिश्चित करें। डॉक्यूमेंट और एडमिशन फॉर्म में एक ही प्रकार की जानकारी होनी चाहिए।
यह घोषणा कहाँ हुई?
यह घोषणा यूपी बोर्ड के सचिव श्री भगवती प्रसाद सिंह ने 14 जून 2025 को दिल्ली में आयोजित School Games Federation of India (SGFI) की एक बैठक में की। इसकी घोषणा करते हुए बोर्ड सचिव ने बताया कि:
अब APAAR ID और Aadhaar ID को स्कूल स्तर पर पंजीकरण के लिए लागू किया जाएगा, जिससे छात्रों की जानकारी में पारदर्शिता बनी रहे।
साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश ने स्कूल गेम्स आयोजन में बेहतरीन प्रदर्शन किया है और अब निष्पक्षता बनाए रखने के लिए यह कदम जरूरी है। ताकि उन सभी योग्य खिलाड़ियों को बराबर अवसर मिल सके जो इस उम्र में आते हैं। अब कम उम्र के खेलों में ज्यादा उम्र वाले खिलाड़ी शामिल नहीं हो सकेंगे।।
APAAR ID क्या है?
APAAR ID एक यूनिक डिजिटल आईडी है जो छात्र की पूरी शैक्षणिक जानकारी एक जगह सुरक्षित रखती है। इसमें छात्र की निम्न जानकारी शामिल होती है :
- जन्म तिथि
- स्कूल का नाम
- कक्षा
- अंकपत्र
- पुरस्कार
- खेल गतिविधियाँ
- शैक्षिक स्तर
- अन्य विद्यार्थी से जुड़ी जानकारी
इसके माध्यम से किसी भी छात्र की पहचान और शैक्षणिक इतिहास को आसानी से ट्रैक किया जा सकता है। जिसके आधार पर खेलों एवं अन्य कार्यक्रमों में निष्पक्षता और पारदर्शिता बनी रहेगी।
इसका छात्रों और स्कूलों पर क्या असर होगा?
जैसा कि बोर्ड सचिन ने अब यह नियम लागू कर दिया है, इसलिए आइए जानते हैं इसका छात्रों और विद्यालयों पर क्या असर पढ़ने वाला है?
छात्रों के लिए:
- अब कोई भी छात्र फर्जी जन्मतिथि देकर एडमिशन या खेलों में भाग नहीं ले सकेगा।
- असली छात्रों को उचित मौका मिलेगा और प्रतिस्पर्धा निष्पक्ष होगी।
- उनकी पूरी शिक्षा डिजिटल प्लेटफॉर्म पर सुरक्षित रहेगी।
स्कूलों के लिए:
- स्कूलों को अब छात्रों का आधार और APAAR ID सत्यापन के बाद ही पंजीकरण करना होगा।
- यदि कोई स्कूल जानबूझकर गलत जानकारी देता है तो उस पर कार्रवाई हो सकती है।
- हाई स्कूल में पंजीकरण के लिए विद्यार्थियों से उनका आधार कार्ड आधार आईडी लेकर ही पंजीकरण करना होगा।
शिक्षा व्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़ा कदम
यह कदम न सिर्फ उम्र की धोखाधड़ी पर रोक लगाएगा, बल्कि यूपी बोर्ड की पारदर्शिता और विश्वसनीयता को भी बढ़ाएगा। साथ ही यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) के उस लक्ष्य के साथ मेल खाता है, जिसमें डिजिटल शिक्षा और ट्रैकिंग को बढ़ावा दिया गया है।
निष्कर्ष
माध्यमिक शिक्षा परिषद उत्तर प्रदेश के सचिव भगवती सिंह का यह कदम छात्रों की सुरक्षा, निष्पक्षता और डिजिटल सिस्टम की ओर एक बड़ा कदम है। आने वाले समय में यदि यह योजना सही से लागू की जाती है, तो यूपी की शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा सुधार देखने को मिलेगा। उसी के साथ-साथ खेल जगत में भी सभी खिलाड़ियों को निष्पक्ष रूप से बराबर का अवसर दिया जाएगा।